Saturday 13 August 2016

मेरा तिरंगा और राष्ट्रवाद


देखो ऐसा तो बिल्कुल नहीं है कि मैं आपको कोई ज्ञान दूँगा क्योंकि एक क्लीन शेव आदमी से ज्ञान लेना हमारी संस्कृति है ही नहीं और आपको राष्ट्रवाद सिखाने के चक्कर में मैं 3 फुट की दाढ़ी मैनेज नहीं कर सकता। बस चंद आम सी बातें करनी हैं अपने तिरंगे के बारे में। मैं बहुत सेल्फियां लेता हूँ तिरंगे के साथ, जहाँ भी अपना झंडा देखता हूँ अंदर का मोदी मचल जाता है। एक अलग सी फीलिंग आती है जी और अगर कहीं विदेश में दिख जाये फिर तो एकदम लता ताई गूंजने लगती है कानों में।
                                                                             

वैसे ज़िंदगी में 1-2 बार सीरियस होकर भी सोचा कि ये है क्या, एक कपड़े की कतरन, कागज का टुकड़ा, दीवार पर लगे कुछ रंग या ये कुछ और भी कहता है? भारत के करोड़ों बच्चों की तरह मैंने भी स्कूल के दिनों से ही सीना तानकर तिरंगे को सलामी देना सीखा और मैं भारत के उस हिस्से (हरियाणा) से आता हूँ जहाँ ज्यादातर स्कूलों में प्रेयर की जगह सिर्फ राष्ट्रीय गान या वंदे मातरम ही गाया जाता है और हमारे घरों में हनुमान जी के साइड में भगत सिंह की फोटो लगी होती है। तो हमें एडवांटेज ये रहता है कि हमें राष्ट्रवाद सीखने के लिये सुबह-सुबह निक्कर प्रेस करके शाखा नहीं जाना पड़ता, आराम से उठते हैं 8-9 बजे।

अगर आप मुझसे पूछें कि तिरंगे को देखकर मुझे क्या महसूस होता है, क्या मेरा मन कहता है कि झंडा अपने कंधे पर लहराऊँ और इसका डंडा सरकार से सवाल पूछने वालों को चढ़ाऊँ? क्या दिल करता है कि अपने से अलग विचार वालों की दीवार पर गद्दार लिखकर भाग जाऊं? क्या बीफ खाने वालों को किडनेप करके मदर डेयरी के पनीर वाले फ्रीज़ में बंद कर दूँ? ना, पता नहीं ऐसा कुछ क्यों नहीं फील होता।  बस अच्छा सा लगता है कि मानों तिरंगा कोई  शंकर, एहसान, लॉय की एलबम है, इसमें सबकी धुनें हैं। मानों तिरंगा कोई आशीष नेहरा, ज़हीर खान और हरभजन सिंह का बोलिंग स्पेल है।  मानों कलमाड़ी, जॉर्ज फेर्नेंडिस और प्रकाश सिंह बादल का कोई मिलाजुला घोटाला है। कहने का मतलब अच्छे-बुरे, भारत के सब कलर बराबर है इसमें। 

फिर क्यों कुछ शॉर्ट्स वाले हॉट सिंगल्स राष्ट्रवाद का शार्टकट मारना चाहते हैं? क्यों उन्हें लगता है कि तिरंगे की आड़ में देश के कोने-कोने में केसर भर देंगे, विमल समझा है क्या देश को? क्या वो हमें देशभक्ति की कॉलर ट्यून सुनाएंगे जिन्हें अंग्रेज़ व्हाट्सएप्प की तरह यूज़ करते थे? हम पाकिस्तान नहीं जायेंगे, यहीं रहेंगे क्योंकि हमें इस धरती से प्यार है और पाकिस्तान में यूट्यूब भी नहीं चलता। हम  सवाल भी उठायेंगे और तिरंगे भी लहरायेंगे। तुम तिरंगे को ऊँचा मत करो, तिरंगा बहुत ऊँचा है, बस अपनी निक्कर जैसी सोच को थोड़ा बड़ा करके पैंट के साइज़ की कर लो।

पाकिस्तान मुर्दाबाद रहे या ज़िंदाबाद रहे मुझे कोई मतलब नहीं।  क्या गुमान करें गर सरहद पे तिरंगा है, जब होता मुल्क में रोज दंगा है। बस अपनी तरफ वाले लोग भूखे ना सोयें और छोटे-छोटे बच्चे दुकानों पर चाय ना बेचें। ये उनका बचपन भी ख़राब करता है और आगे चलकर ऐसा कोई बच्चा देश भी ख़राब कर सकता है। धन्यवाद, जय हिंद, वंदे मातरम।